Wednesday, December 19, 2007

जरा सी बात है मुँह से निकल न जाये कही

नजर नवाज नज़ारा बदल न जाये कही।
जरा सी बात है मुँह से निकल न जाये कही,
वो देखते है तो लगता है नींव हिलती है ,
मेरे बयान को बंदिश निगल न जाये कही।
यों मुझको खुद पे बहुत ऐतबार है लेकिन ,
ये बर्फ आंच के आगे पिघल न जाये कही ।
तमाम रात तेरे मैकदे में मय पी है ,
तमाम उम्र नशे में न निकल जाये कही,
कभी मचान पे चढ़ने कि आरजू उभरी ,
कभी ये डर के ये सीढ़ी फिसल न जाये कहीं ।
ये लोग होमो हवन में यकीन रखते है
चलो यहाँ से हाथ जल न जाये कही । ।

हिन्दी

Saturday, November 24, 2007

एक सपना

मैंने देखा है एक सपना ,
प्यारा सा सपना ,
जिसमे है सिर्फ मैं और मेरी दुनिया ,
मेरी दुनिया कि छोटी-छोटी खुशियाँ ,
फूलों की रंगिनिया , खुशबू भरी कलियाँ ,
समेट लेना चाहता हूँ मैं ,
सभी सुखो कि अनुभूतियों को ,
सारे जहाँ के प्यार भरी मुस्कान को ,
पर क्या ?
इस बनावटी दुनिया में रहकर
कभी यह मेरा "सपना "
सच हो पायेगा ?!!!

Tuesday, November 20, 2007

कशमकश

ढलती शाम तुमको देखा ,चहलकदमी करते हुए !
कदम तेरे बढ़ रहे थे ,यूं कशमकश में फँसे हुए ,
अजब थी हालत थी तेरी ,जैसे कि बस में हो दिल तेरा ,
कभी गुमसुम सी लगती थी तुम,कभी मायूस सी ,
चेहरे पे लटकती ये बेपरवाह लटें ,कितनी मासूम हो तुम !!!
सोचता रह रात भर ,कि पूछूं परेशानी तुम्हारी ,
पर डर गया इस डर कि कही और ना परेशान कर दूं तुम्हे ,
इस भोले से चेहरे पर अच्छी लगती है ,लकीरे सिर्फ मुस्कराहट कि ,
अपनी रंजिशे ,मुश्किलें ,हमे दे दो ,
लेकिन खुश रहा करो ....मेरे लिए !!
पहले कि तरह ..................................!!!

Saturday, November 17, 2007

लालू ,"हरा पेड़ चर्र्र्र्र्र्र्र्र्रा से गिर गया ,ट्रांसलेशन करो ?"

हमारे मित्र अमित ने कल मुझसे कहा कि ,यार राज ये क्या तुम कविता ,शेर ,दर्द भरा नगमा लिखते रहते हो ,कुछ जोक्स टाइप लिखा करो ,सो मैंने भी सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा भी लिखा जाये । तो मुझे एक बहुत पुराना जोक्स याद आ गया ।
एक बार राजू ने एक सपना देखा कि , हमारे देश के तीन नेता ,श्री मनमोहन सिंह,अटल जी ,और लालू जी ,तीनो गुजर गए ,और इनकी आत्मा स्वर्ग में गयी ,तो जैसा कहा जाता है कि ,स्वर्ग में जाने के बाद वह पे चित्रगुप्त हामरे सब कामो हिसाब करते है ,फिर उसके बाद सीट अलोट करते है ,कि किसको स्वर्ग में जाना है ,और किसको नरक में .चित्र गुप्त जी ,अपना रजिस्टर खोलते है,सबसे पहले अटल जी का हिसाब किताब देखते है ।
चित्र गुप्त : अटल ,तुमने तो इंडिया को बहुत फील गूड कराया लेकिन सिर्फ अपनी कविताओं में ,कभी विहिप ,और कभी शिवसेना को कराया ,लेकिन भारत उदय नही हुआ ,खैर कोई बात नही ,तुने जो भी किया कुछ ठीक ही किया ,और अभी तक कुवारे हो ,चलो तुम स्वर्ग में जाओ ,वहा पे परिओं से तुमरा कौमार्य खतम हो जाएगा .जी लेना अपनी ज़िंदगी ।
अब बारी मनमोहन कि
चित्र गुप्त : मनमोहन ,तेरा हिसाब किताब तो बहुत गड़बड़ है .तुमने तो कभी कुछ बोला ही नही ,जो कुछ बोला सोनिया ने ही बोला ,उसने जैसा चाहा वैसा तुमसे कराया ,खैर ,तुम भी स्वर्ग में जाओ ,जी लेना अपनी ज़िंदगी ..अपनी तरह से ।
अब बारी लालू जी कि
चित्र गुप्त : लालू जी ,भाई साहब ,आप नरक में जाओ ,आपका हिसाब किताब बहुत गड़बड़ है ,हमारे रजिस्टर में सब बकाया है आपका ,चारा घोटाला ,गुंडा गर्दी , जेल ,पता नही क्या क्या ।
लालू जी बिफर गए ,गुस्से में बोले , ई का है चित्र गुप्त्वा ,साला धरती पे भी हमारा हिसाब किताब खराब था ,यह पे भी सुकून नही है ,हम नही मानेगे ,हमको भी स्वार्ग में भेजो ,लालोऊ अपनी जिद पे अड़ गए ..फिर चित्र गुप्त ने कहा ,ठीक है ,हम आप लोगो से कुछ प्रश्न पूछूंगा ,जो उत्तर दे देगा ,स्वर्ग में जाएगा ,और जो नही दे पायेगा ,नरक में !सब तैयार हो गए ।
चित्र गुप्त अटल से : अटल Boy माने ।
अटल : जी ,लड़का ।
चित्रग्प्त : Spelling ?
अटल : बी...ओ...वाई
चित्र गुप्त : सबाश !! पास हो गए ,स्वर्ग में जाओ ।
चित्र गुप्त मनमोहन सें : मनमोहन ,girl माने ?
मनमोहन : जी , लड़की
चित्रगुप्त : Spelling?
मनमोहन : G...I...R ..L
चित्र ग्पुत : शाबास !! पास हो गए स्वर्ग में जाओ ।
अब बारी लालू कि
चित्र गुप्त लालू से :
लालू ,CHEKOSLOWAAKIYA माने !!
लालू : ई चित्र गुप्त्वा ,उनसे लड़का लड़की ,हमसे चेकोस्लोवाकिया..ई बिल्कुल भी नही चलेगा ,जयादा मूद्वा खराब करेगा तो हम यह रैल्ली निकाल देंगे ...हम ये पच्छ्पात बिल्कुल भी नही मानेगे ..फिर से पूछो ।
चित्रग्पुत : लालू ,तुमरा ये नाटक नही चलेगा ,चलो तुमको एक चांस और देते है ।
चित्र गुप्त अटल से : अटल ,वह एक लड़का है ,ट्रांसलेशन करो !
अटल : HE IS A Boy !
चित्रगुप्त : शाबास !सबाश !! पास हो गए ,स्वर्ग में जाओ
चित्र गुप्त मनमोहन से : मनमोहन ,वह एक लड़की है ,ट्रांसलेशन करो ।
मनमोहन : SHE IS A girl।
चित्रगुप्त : शाबास !सबाश !! पास हो गए ,स्वर्ग में जाओ
चित्र गुप्त लालू से : लालू ,हरा पेड़ चर्र्र्र्र्र्र्र्र्रा से गिर गया ,ट्रांसलेशन करो ।
लालू : हे देखा , उनसे लड़का लड़की ,हमसे चर्र्र्रा ,पर्र्र्र्रा !!!बिल्कुल नही ,हमको तो तुम लोग फसा दिए ,जर्रूर ये बीपच्च्ही कि चाल है ,हम नही मानेगे ,एक मौका और चाहिए ,लेकिन इस बार पच्छापात बिल्कुल भी नही ।
चित्र गुप्त : ठीक लालू जी ,एक बार और चांस मिलेगा ,ये लास्ट चांस है ,
चित्र गुप्त अटल से : अटल ,भारत में आजादी कि जंग कि शुरुवात कब हुयी थी ?
अटल : जी ,१८५७ में!
चित्र गुप्त : शाबास !!!! पास हो गए ,स्वर्ग में जाओ !!!
चित्र गुप्त मनमोहन से : मनमोहन , आजादी कि जंग में लगभग कितने लोग शहीद हुए ?
मनमोहन : वही लगभग ,१९ ,२० हजार ।
चित्रगुप्त : शाबास !!!! बिल्कुल सही , पास हो गए... स्वर्ग में जाओ !!!
चित्र गुप्त लालू से :लालू!! तुम उन १९,२० हजार शहीदों के नाम बताओ ?

Tuesday, November 13, 2007

पार्टनर के सामने कपड़े उतारने से शर्माते हैं मर्द !

25 परसेंट पुरुषों को अपने शरीर के बारे में इतनी शर्म आती है कि वे अपने पार्टनर के सामने कपड़े उतारने से भी शर्माते हैं। हाल ही में एक सर्वे में यह बात सामने आई है।

रिसर्च में पता चला है कि विज्ञापनों और फैशन मैग्जीनों में बॉडी की परफेक्ट शेप देखकर पुरुषों को भी उतनी ही शर्मिंदगी महसूस होती है, जितनी महिलाओं को।

तानिता के स्केल मैन्युफैक्चर्रस द्वारा यह सर्वे किया गया। सर्वे में शामिल 3000 पुरुषों में से 50 परसेंट ने खुद को मोटा बताया। हर दस में से एक पुरुष ने कहा कि वह अपनी चर्बी कम करने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी करवाना पसंद करेंगे। 72 परसेंट का कहना था कि जिम-ट्रिम शरीर देखकर उन्हें बुरा लगता है और यहां तक कि वे अपनी ढुलमुल फिजीक को लेकर असुरक्षित भी महसूस करते हैं।

लंदन के अखबार डेली मेल ने एसोसिएशन ऑफ फिटनेस इन्स्ट्रक्टर्स के प्रेजिडेंट ब्रेंडा मार्टिमोर के हवाले से लिखा है कि कुछ समय से महिलाओं में यह धारणा बन रही है कि परफेक्ट फिगर का मतलब है किसी पतंगे जैसा पतला होना। मार्टिमोर का कहना है कि ऐसा लगता है कि यह धारणा अब पुरुषों के बीच भी जगह बना रही है। वह कहते हैं कि बहुत सारे पुरुष जो अच्छे-खासे दिखते हैं, अब अपने आप को लेकर खुश नहीं हैं।

सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि पुरुषों ने शरीर को लेकर अपनी चिंतांओं का एक आसान हल भी खोज लिया है। यह हल है झूठ बोलना। हर 5 में से एक पुरुष ने माना कि वह अपनी कमर के साइज या वजन को लेकर झूठ बोलते हैं।
लो भैया ये भी आफत है ,मर्द के साथ.

Thursday, November 8, 2007

अपुन मानता है अपुन टपोरी है .

अपुन पकिया !!! उमर ३० साल ,
वजन ८० किल्लो और
5 1/ 2 फूट हाईट क्या ,
पूरा कसरत बोडी !!!
......अभी वो बोले तो ,
क्या है न अपुन को भी लाइफ में
सेटल होने का माँगता ,
इसीलिए ये विज्ञापन अपुन
पेपर में छाप रे ला है ...
अपुन मानता है अपुन टपोरी है ,
बहुत लोग का पुंगी बजायेला है मगर
क्या है ना बाप ,
अपुन का भी इज्ज़त है मार्किट में ! !!
अपुन को भी पब्लिक शादी -बियाह में बोलती है वह भी
इज्ज़त से !
साल का 5/६ पेटी तो अपुन आराम से कमा लेता है ...
बुरी आदत बोले तो दारु और बीडी , अभी दारु कोन
नही पीता - यार !!!!. अक्खा बड़ा बड़ा लोग अपुन लोग से
जास्ती चडा लेता है ...
अब छोकरी पुन् को ऐसा माँगता है ...
बोले तो एक दम झकास माल , पटाखा , एक दम
पटाखा ...
थोडा पड़ी लिखी होंगी तो चलेंगा
किओं के साला येः कभी कभी फॉर्म भरने के लिए
साला अपुन को 25 लोग का हाथ पैर जोड़ना पड़ता है ..
अपुन जो है न शादी के बाद एक
दम सुधर जायिंगा इमान से ...
अपुन का बच्चा लोग को अपुन पढा लिखा टपोरी
बनायिंगा ...
बोले तो टपोरी डॉक्टर ,टपोरी कंप्यूटर वाला ,टपोरी ब्लोगर और भी
भोत कुछ .........
माँ कसम शादी के बाद अपुन किसी भी चिकनी को लाईन
नही देंगा ...
देखो मामू अपुन को शादी के बाद में
कोई छोकरी कि फमिली का लफडा नही माँगता है ..
हाँ बोले तो कबाब में हड्डी नही बनने का क्या !
कोई साला बीच में आयेगा तो उसका गेम बजा
दालेंगा .
अभी ये सब अच्छा लगे तो अपुन को contact करने का
क्या !


पता है -
मुन्ना मोबाइल के पिच्छु ,
पप्पू पेजर का राईट हैण्ड , शान पट्टी नगर ,
हैरान गली No. 420,
परेशां रोड , भाई का एरिया .-३०३
ई -मेल :
खूनखराबा@शोर्ट-शर्कित.कॉम

सभी भाई लोग को दिवाली कि शुभ कामना !!

Friday, November 2, 2007

अजब पागल सी लड़की है!!!!

अजब पागल सी लड़की है ,
मुझे ख़त मैं लिखती है ,
मुझे तुम याद करते हो ?
तुम्हें मैं याद आती हूँ ?”
मेरी बातें सताती हैं
मेरी नींदें जगती हैं
मेरी आँखें रुलाती हैं
दिसम्बर के सुनहरी धुप में अब भी टहलते हो ?
किसी खामोश रस्ते से
कोई आवाज़ आती है ?
ठहरती शरद रातों में
तुम अब भी छत पे जाते हो ?
फलक के सब सितारों को
मेरी बातें सुनाते हो ?
किताबों से तुम्हारे इश्क में कोई कमी आई ?
या मेरी याद के शिद्दत से आंखों में नमी आई ?
अजब पागल सी लड़की है
मुझे हर ख़त में लिखती है .... . .........

जवाबन उस को लिखता हूँ ..
मेरी मसरूफियत देखो सुबह से शाम ऑफिस में
चिराग -ए -उमर जलता है
फिर उस के बाद दुनिया की
कई मजबूरियां पावो में में बेडी डाल रखती हैं
मुझे बे -फिक्र , चाहत से भरे सपने नहीं दिखते
टहलने , जागने , रोने की मोहलत नहीं मिलती
सितारों से मिले अरसा हुआ ..नाराज़ हों शायद
किताबों से मेरा रिश्ता अभी वैसे ही कायम है
फर्क इतना पड़ा है अब उन्हें अर्से में पढता हूँ
तुम्हें किस ने कहा पगली तुम्हें में याद करता हूँ
के मैं खुद को भुलाने की मुसलसल जुस्तजू में हूँ
तुम्हें ना याद आने की मुसलसल जुस्तजू में हूँ
मगर यह जुस्तजू मेरी बहुत नाकाम रहती है
मेरे दिन रात में अब भी तुम्हारी शाम रहती है
मेरे लफ्जों कि हर माला तुम्हारे नाम रहती है
तुम्हें किस ने कहा पगली तुम्हें मैं याद करता हूँ
पुरानी बात है जो लोग अक्सर गुनगुनाते हैं
उन्हें हम याद करते हैं जिन्हें हम भूल जाते हैं
अजब पागल सी लड़की है
मेरी मसरूफियत देखो
तुम्हें दिल से भूलूं तो तुम्हारी याद आये ना
तुम्हें दिल भुलाने की मुझे फुरसत नहीं मिलती
और इस मसरूफ जीवन में
तुम्हरे ख़त का इक्क जुमला
“तुम्हें मैं याद आती हूँ ?”
मेरी चाहत कि शिद्दत में कमी होने नहीं देता
बहुत रातें जगाता है मुझे सोने नहीं देता
सो अगली बार अपने ख़त में यह जुमला नहीं लिखना
अजब पागल सी लड़की है मुझे फिर भी ये लिखती है
मुझे तुम याद करते हो तुम्हें मैं याद आती हूँ ????????????????????????

हिन्दी कविता

Tuesday, October 23, 2007

मेरा ताजमहल

मेरा ताज महल मेरे कालेज के दिनों में मेरे मित्रो द्वारा बहुत पसंद किया जाता था .आज अपनी डायरी के पन्नों को बहुत दिनों बाद पलटा तो ये रचना निगाहों के सामने पड़ी ,सोचा कि इसको आप लोगो को भी सुनाऊं ....

अपनी मुहब्बत को जिंदा रखने के लिए ,शाहजहा ने,
एक ताजमहल बनवाया था ,
हालाकि मैं शाह्ज़हा नही हूँ ,फिर भी !!
एक ताजमहल बनवाऊंगा ,
जो मेरे दर्द का प्रतीक होगा ,
जिसे बनाने के लिए ,
मेरे पास दौलत का नही ,निराश इच्छाओं का असीमित खजाना है ।
जो संगमरमर के टुकडों से नही ,मेरे दिल के टुकडों से तैयार होगा ,
जिसका रंग सफ़ेद संगमरमर कि तरह नही ,मेरे खून कि तरह लाल होगा ।
उसके सामने जख्मो से निकली ,
तुम्हारी यादों का एक बाग़ होगा ,
और उसकी खूबसूरती के लिए ,उसके किनारे -२
मेरे आशुओं का दरिया बहेगा ।
मेरे दर्द का ताजमहल ,किसी आसमानी रोशनी से नही ,
मेरे दर्द और यादों कि रोशनी से चमका करेगा ।
और जिसे देखने के लिए ,हर हसीं रात में ,
दिल जलो ,बे -कशों का हुजूम लगा करेगा ।
जिसके ठीक सामने होगा ,तुम्हारी यादों का एक किला ,
जिसमे मेरी मुहब्बत के साथ ,मेरे जज्बात भी कैद रहेंगे ।
और जिसके झरोखों से मेरी मुहब्बत ,मेरे जज्ज्बात ,
मेरी इस कारीगिरी को झाँका करेंगे ।
मैं हर रात उस किले ,में ,अपनी मुरादों का एक दीप जलाऊंगा ,
अपनी बेकाशी का एक गीत सुनाऊँगा ,
के तू मेरी मुमताज़ है ...रहेगी ...शायद उम्र भर ।
गर्दिशे हालात से ,जब थक जाऊंगा चलते -२ ,
अपनी ही असफलताओं से हार जाऊँगा लड़ते -२ ।
तो हे ,जमाने के सताए लोगो ,
दफना देना मुझे !!
मेरे ही दर्द के ताजमहल के सामने ,
और दफ़न हो जाऊंगा मैं ...........
अपनी सलाबों के साथ ,लिपटा हुआ कफ़न में ,
बस ! यही हसरत लिए कि ,
काश ! तू मेरी मुमताज़ और मैं तेरा शाह्ज़हा होता !!!!

Saturday, October 13, 2007

हमारे और तुम्हारे बीच

तुमने लिख पूछा है !कैसा है मेरा प्यार तुम्हारे लिए ,
कैसे बताऊँ ?
ना व्यक्त होता है ना अभिव्यक्त
ना लिख कर बता सकता हूँ ,ना इशारों से ,
बस !
जिस दिन वर्षा हो ,और झाडियाँ थमें ,
जरा कमरे से निकल ,आकाश कि ओर देख लेना ,
शायद ,इन्द्रधनुष निकला हो ,
सप्त्रंगी !!
वही देगा उत्तर ,तुम्हारे प्रश्न का
कि
कितने रिश्ते संलिप्त है
हमारे और तुम्हारे बीच .

Friday, October 5, 2007

बूझो तो जाने !!!!!

किसी शायर ने कहा है
"किसी मासूम बच्चे के तबस्सुम में उतर जाओ .
तो जानो खुदा ऐसा ही होता है ।
मुझे बच्चे बहुत प्यारे लगते है ,शायद बच्चे सभी को अच्छे लगते है लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है जो बच्चों को ऐसे घूरते है जैसे पाकिस्तान हिंदुस्तान को .इसपे भी किसी शायर ने कहा है ।
वो क्या किसी के होंठों को बाटेगा कह -कहे ।
जिसने घर में बच्चो को भी हँसने नही दिया ॥
मैं रास्ते में चलते रहते हुये भी किसी बच्चे का साथ पाता हूँ तो उसके साथ खेलने लगता हूँ ,क्यों ना उनकी मम्मी भी साथ हो ,अब आप को क्या बताऊँ हमारे दोस्त ये भी कहने लगते है ,बच्चे का आड़ ले कर मम्मी को पटा रहा है ...खैर ,ऐसे ही एक बाल मन ,जो हमारे लैंड लॉर्ड का प्यारा सा "गोलू " है ६ वर्ष का ,मेरे से एक पहेली पूछा .मैं तो बहुत परेशान हो गया ,सोचा चलो ये पहेली मैं अपने चिटठा जगत के साथियों से ही पूछूँगा ?हमारे चिटठा जगत के महान् बेताज बादशाहों "समीर जी , महावीर जी , अनूप जी , ज्ञान दत्त जी ,संजीव ,पर्मेंदर ,आलोक जी ,और हमारे ढ़ेर सारे ब्लॉगर भाई ही इसका सालुसन बतायेंगे .तो पहेली ये है ॥
अंधे कि बीवी को लंगडा ले कर भाग गया ,और गूंगे ने देख लिया ,तो बताओ ,गूंगे ने अंधे को कैसे बताया कि उसकी बीवी को लंगडा ले कर भाग गया
और हाँ गोलू ने ये भी कहा है कि अंकल अगर आप इसका उत्तर बता दोगे तो आपको एक चोक्लेत मिलेगी .तो ठीक है आप लोग बता दो वो चोक्लेत आपकी होगी , अगर उत्तर बता दिए तो !!!!!!!!!!

Saturday, September 29, 2007

डोंट डिस्टर्ब मी -सोने दो !

वायु का प्रवाह ,नदी का प्रवाह ,या फिर मन का प्रवाह निरंतर चलता रहता है । सम्पूर्ण संसार ही गतिशील है । ये गतिशीलता ही जीवन है । पर यदि कहीँ द्वंद में संघर्ष या विश्फोठ हो जाये तो ,यह अनिस्त्कारक भी बन सकता है । आज हम तरक्की के ऐसे स्तीमेर पर सवार है जो हमारे नेताओं के स्पीच से भी ज्यादा गतिशील है । पता नही कितने ऐसे दृश्य देख सकते है आप .आप मुझसे अगर व्यक्तिगत राय मांगे तो मुझे संसद का सबसे प्रभावशाली और प्रेरणा दायक दृश्य वह लगता है ,जब मैंने किसी किसी भासन या बहस के दौरान देश के कुछ पुराने प्रधान मंत्री ,मंत्री या सांसदों को उंघते या सोते देखा है ,बहुत हो हल्ला होने के बाद ही उनकी समाधि टूट ती है । बुरा हो व्यंग चित्रकारों का ,खुदा कि मार पडे कवियों और शायरों पर जो ऐसे महान नेताओं कि नींद मे खलल डालते है । सोते को जगाना क्या ठीक बात है ???? हम हज़ार साल से सोते आ रहे है ,बाहरी मुल्क के लुटेरे आये तो हम सोते रहे या घरों मे दुबक गए उन्होने हम पर राज़ किया और हम मस्त सोते रहे ,पता नही गांधी जी क्या चुन्न्ना लगा ,उसने अपनी लाकुठी से टाहोका देकर नींद तोड़ दिया । जब भारतीयों को अपनी नींद टूटने का एहसास हुआ तो गाधी जी पर ग़ुस्सा उतारा । अभी हम नींद मे ही थे कि ,अंग्रेज आ गए और अपने पुरखों कि मजारों मे नाच गाना कर के ,हमे उनकी वीरता के किस्से सुना गए और हम नींद मे ही बुद बुदाते रहे "अतिथि देवो भवः "
हम ही नही ,हमारे देवी देवता का भी मिजाज़ कुछ मिल जुला है ,जब भी असुरों का आक्रमण होता था ,तो देवता भागकर गुफा पहाडों में छिपते नजर आते थे , कहा जाता है कि भगवान् विष्णू ४ महिने तक सोते ही रहते है ,बुरा हो शेषनाग का जो उसकी गर्दन दर्द करने लगती थी और थोडा सा सिर हिला देने पर भगवान् कि नींद टूट जाती है और धरती पर भूकंप ,आंधी ,सुनामी जैसी आपदा आन् पड़ती है । रावण क्यों हारा ,कुम्भकरण जो बेचारा मस्त सो रह था ,उसके ऊपर हाथी घोड़े और नगाड़ा बाजवा के उठा दिया ,क्या हुआ ,आख़िर रावण का नाश ही हुआ ना !!!
यह बात तो साफ है कि जब आदमी सोया रहता है ,दूसरों का बुरा नही करता ,किसी को तकलीफ नही पहूँचाता ,नेता लोग हमारे असली पाथ प्रदर्शक है ,जो संसद के सभागार में निद्रा में पडे-२ देश के विकास का सपना देखते है । भई !!आख़िर ,जो सपने देखता है वही सपने दिखा भी सकता है .बस सपने देख के ही तो विजन २० पुरा होगा ना ,सपने से ही तो हम तरक्की करेंगे ।

Saturday, September 22, 2007

फतवा- आदमी बन के दिखाओ तो कोई बात बने ।

मुंबई में गणेश पूजा में शामिल होने के कारण सलमान के खिलाफ फतवा जारी किया है। कहना है कि जब तक सलमान दोबारा पूरी तरह कलमा नहीं पढ़ते हैं , उन्हें मुस्लिम नहीं समझा जाएगा।
मिश्रा पिछले दिनों आए दो अजीबोगरीब फतवों ने अजीब सी स्थिति पैदा कर दी है। ये फतवे किसी ऐरे-गैरे की ओर से नहीं बल्कि देश के अछे मौलवियों की ओर से जारी किए जा रहे हैं। देश के बड़े मुफ्तियों में से एक इज्ज़ात आतियाह ने कुछ ही दिन पहले नौकरीपेशा महिलाओं द्वारा अपने कुंआरे पुरुष को-वर्करों को कम से कम 5 बार अपनी छाती का दूध पिलाने का फतवा जारी किया। और वहीँ एक और p पीने का फतवा !!!!!! ,
इस फतवे में यह कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के साथी उनका पेशाब पीते थे और ऐसा करना पुण्य का काम है। यह फतवा जारी करते हुए मौलवी अली गुमआ ने हदीथ का हवाला दिया। गुमआ का कहना है कि जिस तरह मां अपने बच्चे के मल-मूत्र पर नाक-भौं नहीं सिकोड़ती क्योंकि वह उससे बेइंतहा प्यार करती है , उसी तरह हज़रत मोहम्मद का थूक , पसीना , बाल , पेशाब और रक्त भी पाक हैं। प्रमुख इस्लामिक संस्था दारुल-उलूम देवबंद ने फोटोग्राफी को शरीयत कानूनों के खिलाफ करार देते हुए इस पर पाबंदी लगाने वाला एक फतवा जारी किया है। इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के धर्मगुरुओं ने पर्यटन मंत्री नीलोफर बख्तियार के खिलाफ तालिबानी शैली में एक फतवा जारी किया है और उन्हें तुरंत हटाने की मांग की है।

हमारा भारत जो दुनिया भर में ,"अनेकता में एकता " के नाम से जाना जाता है ,कुछ ऐसे ही धर्म गुरुओं के चलते जो सिर्फ खुद खुदा -भगवान् बनना चाहते है ,अपने जन प्रचार को बदावा देने के लिए ऐसी घटिया हरकते करने लगे है .हमारा प्यारा भारत जहा हम साथ साथ ईद ,दिवाली ,होली ,मुहर्रम मन्नाते है ,जहा हम एक दुसरे के सुख दुःख मे एक साथ एक साथ सामिल होते है , आख़िर ऐसा फतवा जो भगवान् -खुदा को बाठ ले (
गणेश पूजा में शामिल होने के कारण सलमान के खिलाफ फतवा ),ये तो हानिकारक ही है ना .इन धरम गुरुओं को कौन समझाए ,खुदा ,भगवान् तो एक ही है ।
मार्क ट्वेन का मत है कि भारत मानव वंश का उद्‍गम, अनेक भाषाओं तथा बोलियों की जन्म-स्थली, इतिहास की माता, पौराणिक एवं अपूर्व कथाओं की दादी और अनेक परम्पराओं की परदादी है। मानव इतिहास की अत्यंत बहुमूल्य उपलब्धियाँ भारत के खजाने की ही देन हैं। फिर हम ऐसा फतवा होने दुनिया कि नजर में क्यों अपनी एकता खो रहे है ,

धर्म का संबंध मनुष्य के आंतरिक विश्वास और उसके बाह्य नैतिक आचरण — सदाचार – से ठहरता है । यदि विभिन्न धर्मों के मूल सिद्धांतों की विवेचना करें तो धर्म का अर्थ उच्चतर मानव मूल्यों को धारण करना ठहरता है जिसे किसी शायर ने बहुत सरल और सार्थक भाषा में परिभाषित किया है :

आदमी बन के दिखाओ तो कोई बात बने ।

यो तो आसान है हिंदु या मुस्लमा होना। ।

आज भी मुझे याद है ,हमारे पदोश मे "राबिया " थी ,मेरी छोटी बहन जो कि मुस्लिम थी ,उसकी विदाई में मैं इतना रोया था ,जितना कि मैं अपनी सगी बहन कि शादी में नही रोया था ,आज भी राबिया कि पवित्र राखी मेरे हाथो को सुसोभित करती है ,आज भी मुज्जफर दादा कि पाक - कुरान कि आयतें याद है ,जो वो मुझे बचपन मे सुनाया करते थे ,आज भी जब हम अपने गाँव जाते है ,सबीना चाची हसते हुये गले लगा के बोलती है"राज " बेटा कमजोर हो गए हो ,खाने पीने मे लापरवाही करते होगे (चाहे मैं कितना ही स्वास्थ रहूँ ),आज भी वही ईद आती है ,जब हम और शेराज भाई एक ही चम्मच से सिंवायी खाते है .राबिया ,मुजफ्फर दादा जरा समझाओ इन धरम के ठेकेदारों को ,खुदा को क्यों बाटना चाहते है .क्यों दीवार ढाल रहे है ये हमारे बीच ,क्यों नफ़रत पैदा करना चाहते है .कितना दर्द होता है ,ये धरम के ठेकेदार नही समझेंगे .बस यही ख़्याल आता है ।

देख दहलीज़ से काई नही जाने वाली ।

ये बेईल्म सच्चाई नही जाने वाली ।

एक तालाब सी भर जाती है हर बारिश में ।

मैं समझता हूँ ये खाई नही जाने वाली ।

चीख निकली तो है होठों से ,मगर मद्धम है ।

बंद कमरों को सुनाई नही जानेवाली ।

"राज " परेशां बहुत है ,तू परेशां ना हो

इन खुदाओं कि खुदाई नही जाने वाली

आज सडको पे चले जाओ ,तो दिल बहलेगा

चांद गजलों से ये तनहाई नही जाने वाली .






Thursday, September 20, 2007

कालिया और लूट -मार सोफ्टवेयर

गब्बर कालिया और दो साथियों को रामगढ लूट -मार सोफ्टवेयर लाने के लिए भेजता है .

वो रामगढ़ पहूचते है ,और चिल्लाते है : "अबे ओ ! ठाकुर ! कहां है वो लूट -मार सोफ्टवेयर? लास्ट डेट तो कब का निकल गया ".

ठाकुर [ग़ुस्से में ]: "चिल्लाओ मत ! जाकर गब्बर से कह दो कि ठाकुर सोफ्टवेयर वालों ने पागल कुत्तों के लिए सोफ्टवेयर बनाना बंद कर दिया है ।"

कालिया : "बहूत गरमी दिखा रहे हो ठाकुर ? कोई नए प्रोग्रामर हायर किये हैं क्या ?"

ठाकुर : "नज़र उठा के देख , कालिया , तेरे सर पर मेरे दो प्रोग्रामर कोडिंग कर रहे है ।"


कालिया ऊपर देखता है जय और वीरू को जो अलग अलग वाटर टैंक पेर लैपटोप ले कर बैठे है ।


Kaalia (हसते हुये ): "हां हां हां हां हां हां ... ठाकुर ने फ्रेशार (freshers) को हायर किया है ये लोग प्रोग्रामिंग करेंगे ?? इन को तो DOS कमांड्स भी ! नहीं आती ।"

वीरू(चिल्लाता है ): "चुप -चाप चला जा कुत्ते . हम लोग कोन्सुल्तैंत (consultant) हैं , कुछ भी कर सकते हैं ।"........। . और हम गूगल से कोड चुरा के कुछ भी कर सकते है .

जय कंप्यूटर पे कुछ टाईप कर्ता है ,और कहता है : "जाओ कालिया , गब्बर से कहना कि उसका सर्वर डाउन हो गया."

गब्बर के पास :

गब्बर : "कितने वायरस थे रे कालिया ?"

कालिया : "दो सरकार ."

गब्बर : "वो दो ! और तुम तीन एंटी - वायरस. फिर भी फिक्स नही कर सके ? क्या सोच के आये हो ? गब्बर बहूत खुश होगा ? इन्सेंतीव देगा , सेलरी बडायेगा ?

इसकी सज़ा मिलेगी ... बरोबर मिलेगी . (गब्बर चिल्लाता है ) "शाम्भा लैपटोप ला रे ".

"कितने सेस्सिओंस (session) हैं इस मशीन में ?"

शम्बा : "छे सरकार ."

गब्बर : "session ६ और प्रोग्रामर ३ . बहूत नाइंसाफी है .[लाग आउट - लाग आउट - लाग आउट ]. हाँ अब ठीक है ... अब तेरा क्या होगा कालिया ?"

कालिया : "सरकार , मैंने आपका कोड लिखा था ।"

गब्बर : "तो ले अब टेस्टिंग कर !" ...हां हां हां आहा हः आःहाहा हह्हा हां ।


Saturday, September 15, 2007

Technorati Profile

क्या होता है ये प्यार -भाई बताओ ना !!!!!

अभी कुछ दिन पहले मैं अपने घर जौनपुर (यू.पी।) गया था ,एक बहुत ही अज्ज़ब सी सितुअशन आ गयी हमारे सामने ,मेरा एक छोटा भाई जो अभी ७ क्लास मे पढ़ाई कर रहा है ,मेरे पास आया ,और suddendly,पूछा ,"भैया ये प्यार क्या है "..मैंने कहा भाई जैसे आप हमे मिस करते हो ,मेरा ख़याल रखते हो ..यही सब तो प्यार है ,माँ का प्यार ,भाई का प्यार ,बाप का प्यार ...ना जाने क्या क्या उसको बताया ..समझाया ..लेकिन वो संतुस्थ नही हुआ ...उसने कहा भैया ये जो लड़के-लडकी प्यार करते है ,ये क्या है ,क्यों लोग किसी को इतना पसंद करने लगते है ,कि उसके लिए सब कुछ छोड़ने को तैयार हो जाते हैं, जान भी देने मे कोई परहेज़ नही ......अब क्या बताओं उसको ,बाल मन !!! जो आवारा होता है ...मैंने कहा भाई अभी मुझे नींद आ रही है ,बाद में बताऊंगा आपको ..लेकिन सुच ये है कि नींद तो बहुत दूर हो गयी थी ना जाने क्यों ??
"हाय बेचारगी -ए -इश्क की उस महफिल में ।
सर झुकाए ना बने ,आंख उठाएँ ना बने" । ।

क्य होता है ये प्यार ,क्यों कोई किसी को इन्ना चाहने लगता है ,आख़िर क्यों??

बड़ी उम्मीदें थी कारे जहाँ मे इस दिल से मगर !
उसे तो तेरी तलब में खराब होना था ।

मैं सोचता रहा रात भर आख़िर ये कौन सा जज्ज्बा है ???????????????
यू तो इन्सान नए ज़मीन ,नए आस्मान की चाहत कर्ता है ,ये आरजू भी उसके लिए मुमकिन होती है । लेकिन !
जहाँ नयी कायनात उसके सामने आती है , उस जहाँ मे कदम रखते हुए काँप सा जाता हूँ । उसे एक अजीब stranger सी उलझन महसूस होती है । मुहब्बत भी कुछ ऐसे ही जज्बे का नाम है ,जहाँ हर रंग बदलने वाला होता है ,जहाँ आदमी सोचता कुछ और है ,और होता कुछ और है । किसी को दिल में बसा लेना ,फिर उसे अपने प्रेम-रूपी खयालों की अमराइयों में ढूद्ना , और रात दिन उसी के सपने देखना ,मसलन ! एक दुसरे का इंतजार , मिलने की बेचैनी ,जुदाई का गम ,ये खुसनशीबी की निशानियाँ बहुत कम खुश्नसीबो को मिलती हैं ।

"पहले इसमे एक अदा थी ,नाज़ था अंदाज़ था ।
रूठना अब तो मेरी आदत में शामिल हो गया ॥ "

हमारी चाहतें , हमारी मुहब्बतें , जो नामुमकिन दीवारो को तोड़कर एक हो जाती है , ऐसा मिलन एक मिशाल ही तो होता है .. जिसकी आगोश मे हमारी जिन्दगी क़ैद हो जाती है.अगर यह हमारे लिए सरफ़रोश है तो हमारा क़ैद होना उस मौसीकी की तरह होता है जिसे छेड़ कर दिल को अजीब सा सुकून मिलता है ...जिसे लफ़्ज़ों में नही बयाँ किया जा सकता , ....मगर जब वही क़ैद रिहाई बन जाती है तो जीना दुस्वार सा हो जाता है ,अपने महबूब अपनी मुहब्बत से बिछड़ जान एक दर्द भरा हादसा होता है ,इस हादसे की वज़ह चाहे जो भी हो मगर तड़पते सिर्फ दो दिल ही है ...बस यही है...
"वक़्त कितना खराब गुजरा है ।
लम्हा लम्हा अजाब गुज़रा है ,
रास्ते क्यों उदास लगते है ,
कौन खाना खराब गुज़रा है ,
जैसे सहरा से काफिला गुज़रे ,
यू इन आंखो से ख़्वाब गुज़रा है "। ।
अच्छा!!! अब रात काफी बीत चुकी है ,घडी ने अभी रात के २ बजाए है लिखता रहा तो ये प्रेम की परिभाषा खतम ही नही होगी क्यों की कागज़ कम पढ़ जाये ,स्याही खतम हो जाये पर भावनाएं तो कभी खतम नही हो सकती ,भावनाओं की लड़ी तो बनती ही जाती है ...खैर एक शेर अर्ज़ है ...
खुशबू जैसे वो मिले अफ़साने में ।
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में ,
शाम के साए उँगलियों से नापे है ,
चांद ने कीतनी देर लगा दी आने में,
दिल पर दस्तक देने ये कौन आया है ,
किसकी आहट सुनता हूँ वीराने में ,
जाने किसका जीकर है इस अफ़साने में ,
दर्द मजे लेता है जो दोहराने में ॥

Thursday, September 6, 2007

दरिद्र नारायन कि दरिद्रता कब कटेगी ?

स्वतंत्र भारत के ६० वर्षो के इतिहास पर दृष्टी डालें तो शिछा, स्वास्थ्य , कृषि और औद्योगिक आदि
छेत्रो में काफी प्रगति के दर्शन होते हैं । अम्बानियों और मारनों की तरफ देखता हूँ तो सिर फख्र से ऊंचा उद जाता है कि मैं उस देस का वासी हूँ जो मालामाल है ,और जब दिनभर पत्थर कूट कर भी रात को पेटभर खाना बिना सोने वाले परिवार की तरफ देखता हूँ तो सिर शर्म से झुक जाता है ।

आज उद्योग फैल रहे हैं , निवेश बढ़ रहा है ,आर्थिक विकास दर ९% को पार कर रहा है और विदेशी मुद्र्रा का भण्डार बढ़ रहा है । यह सब हमारी तेजी से तार्रकी के सबूत हैं और बहुत हद तक श्रेय निजी छेत्र को जाता है ।
रिलायंस के सी .एम्.डी मुकेश अम्बानी का वार्षिक बेतन २४.५१ करोड़ रुपये प्रति वर्षा हैजबकि दुनिया मे अधिकतम औसत वेतन पैकेज २६ करोड़ है
आज भारत, यू .एस . और चीन के बाद वर्ल्ड कि तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था माना जा रह हैवर्ल्ड के २० सबसे बडे अमीरों मे तीन भारतीय है .केवल यू .एस . ही भारत से आगे हैजीं .डी .पी कि दर % के पास पहूंच गयी है लेकिन इस विकास के बावजूद भी २६ करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीने पे मजबूर हैं .मतलब अभी हमारे देश कि एक चौथाई आबादी आर्थिक विकास से बंचित हैयानी कि अभी हम आर्थिक विकास कि दृष्टि से काफी पीछें हैदेश कि २०% आबादी कृषि पेर निर्भर है , लेकिन कृषि व्यवसाय अब फायदे का धंधा नही रहाहर साल हजारो किसान आत्म हत्या करने पे मजबूर हो रहे हैहालत यह है कि २००४ में गोदाम भरे हुये थे आज ये इस्थिति है कि अनाज आयात करना पड़ रहा है
हमारा कहा विकास हो रहा है ,कैसे सपना पुरा होगा बिजान २० काकारखानों मे काम करने वाला मजदूर अपनी दाल रोटी चलाने मे मजबूर है ,उसके बच्चे कूपोसड का शिकार हो रहे है ,कृषि और औद्योगिक उत्पादन में आयी भारी वृद्धि का लाभ एक विसेश वर्ग को ही पहूँचा है ,पुरे समाज को नहीभारत महान और सम्पन्न तभी कहलायेगा जब यहा हर आदमी को भर पेट खाना मिलेगा,सभी के सिर पे छत होगी ,सभी के लिए शिक्षा होगी ,सभी के लिए चिकित्सा सुविधा होगीये सभी मूलभूत चीजे आज उपलब्ध नही है , काफी गरीब आज भी दरिद्र नारायन कि दरिद्रता कटने का इंतज़ार कर रहे है .

Tuesday, August 28, 2007

ना Chemistry होती ना मैं Student होता..

ना Chemistry होती ना मैं Student होता ,
ना ये लैब होती ना ये Accident होता .

अभी Practical में आई नज़र एक लडकी ,
सुन्दर थी नाक उस की टेस्ट Tube जैसी .

बातों में उस की Glucose की Mithaas थी ,
सांसों में Ester की खुशबू भी साथ थी .

आंखों से झलकता था कुछ इस तरह का प्यार ,
बीन पीये ही हो जाता है अल्कोहोल का खुमार .

Benzene सा होता था उसकी Presence का एहसास ,
अँधेरे में होता था Radium का आभास .

नज़रें मीलीं , reaction हुआ
कुछ इस तरह love का Production हुआ .

लगने लगे उस के घर के चक्कर ऐसे ,
Nucleus के चारों तरफ Electron hon jaise.

उस दिन हमारे टेस्ट का Confirmation हुआ ,
जब उस के daddy से हमारा Introduction हुआ .

सुन कर hamari बात वो ऐसे उछल पडे ,
Ignesium Tube में जैसे Sodium भड़क उठे .

वो बोले , होश में आओ , पहचानो अपनी औकात ,
Iron मिल नहीं सकता कभी गोल्ड के साथ .

ये सुन कर टुटा हमारे अरमानों भरा बीकर ,
और हम चुप रहे Benzaldehyde का कड़वा घूँट पीकर .

तू क्या समझ रहा है मुझे चढ़ गयी है ...

हमने ये देखा के लोग दारु (शराब ) पीने के बाद ये जरूर बोलते है .

1. तू तो मेरा भाई है ...
2. You know i am not drunk...
3. गाड़ी मैं चलाऊंगा ...
4. अबे अभी इतनी और अन्दर जा सकती है ...
5. तू बुरा मत मानना भाई ...
6. मैं तेरी दिल से इज़्ज़त कर्ता हूँ ...
7. अबे बोल डाल आज उसको , आर या पार ....
8. आज साली चढ़ नही रही है क्या बात है ...
9. तू क्या समझ रहा है मुझे चढ़ गयी है ...
10. ये मत समझ के पीये में बोल रहा हूँ ...
11.अबे यार कहीँ कम तो नही पडेगी इतनी ...
12. छोटे , एक एक छोटा और हो जाए ...
13. बाप को मत सीखा .
14. यार मगर तुने मेरा dil तोड़ दिया ...
15. कुछ भी है पर साला भाई है अपना ...
16. तू बोलना भाई , क्या चाहियें ...जान चाहिए हाजीर है ???
17.अबे मेरे को आज तक नही चडी ...शर्त लगा साला आज तू ..
18. चल तेरी बात करता हूँ उससे , फ़ोन number दे उसका ।
१९। भाई माँ के याद आ रही है ,भाई मेरी माँ बहुत प्यार करती है मेरे को ,पर पापा तो daant मारते है ।
२०-भाई तेरे पास एक सिगरेट है क्या अभी ,साला सब खतम कर दिया ,,भाई चल अभी ले के आता हूँ .

Friday, July 20, 2007

मेरी हसरतों को शुमार कर , मेरी ख्वाहीशो का हीशाब दे

कहीं से रूत्जगे कहीं ज़र्निगार से ख़्वाब दे .

तेरा क्या उसूल है ज़ींदगी , तुझे कौन इसका जवाब दे ।

जो बीछा सकूं तेरे वास्ते जो सजा सकूं तेरे रास्ते .

मेरी दस्तारस मैं सीतारे रख मेरी मुट्ठियों को गुलाब दे .

कभी यूं भी हो तेरे रूबरू मैं नज़र मीला के ये कह सकूं ,

मेरी हसरतों को शुमार कर , मेरी ख्वाहीशो का हीशाब दे ..

बुझता नही धुँआ

आंखो मे जल रहा है क्यों बुझता नही धुँआ . /
उठता तो है घटा सा बरसता नही
धुँआ .

चूल्हा नही जलाए या बस्ती ही जला गयी
कुछ रोज़ हो गए है अब उठाता नही धुँआ .

आंखो से पोंचा se लगा आंच का पत्ता
यूं फेर लेने से छुपता नही धुँआ .

आंखों से आंसुओं के मरासिम पुराने है .
मेहमान ये घर मे तो चुभता नही धुँआ .

Thursday, July 12, 2007

अजनबी

हमसफ़र बनके हम साथ हैं आज भी ।
फीर भी है ये सफ़र अजनबी अजनबी ।
राह भी अजनबी मोड भी अजनबी,
जाएँ हम कीधर अजनबी अजनबी।
जिन्दगी हो गयी है सुलगता सफ़र ,
दूर तक आ रहा है धुआं सा नज़र
जाने केस मोड पर खो गयी हर ख़ुशी ।
देके दर्द -ए -ज़ीगर अजनबी अजनबी ,
हमने चुन चुन के तिनके बनाया था जो ,
आशियाँ हसरतों से सजाया था जो
है चमन में वही आशियाँ आज भी,
लग रह है मगर अजनबी अजनबी,
कीसको मालूम था दिन ये भी आएंगे ,
मौसमों की तरह दिल बदल जायेंगे ,
दिन हुआ अजनबी रात भी अजनबी ,
हर घड़ी हर पहर अजनबी अजनबी.