Saturday, November 24, 2007

एक सपना

मैंने देखा है एक सपना ,
प्यारा सा सपना ,
जिसमे है सिर्फ मैं और मेरी दुनिया ,
मेरी दुनिया कि छोटी-छोटी खुशियाँ ,
फूलों की रंगिनिया , खुशबू भरी कलियाँ ,
समेट लेना चाहता हूँ मैं ,
सभी सुखो कि अनुभूतियों को ,
सारे जहाँ के प्यार भरी मुस्कान को ,
पर क्या ?
इस बनावटी दुनिया में रहकर
कभी यह मेरा "सपना "
सच हो पायेगा ?!!!

Tuesday, November 20, 2007

कशमकश

ढलती शाम तुमको देखा ,चहलकदमी करते हुए !
कदम तेरे बढ़ रहे थे ,यूं कशमकश में फँसे हुए ,
अजब थी हालत थी तेरी ,जैसे कि बस में हो दिल तेरा ,
कभी गुमसुम सी लगती थी तुम,कभी मायूस सी ,
चेहरे पे लटकती ये बेपरवाह लटें ,कितनी मासूम हो तुम !!!
सोचता रह रात भर ,कि पूछूं परेशानी तुम्हारी ,
पर डर गया इस डर कि कही और ना परेशान कर दूं तुम्हे ,
इस भोले से चेहरे पर अच्छी लगती है ,लकीरे सिर्फ मुस्कराहट कि ,
अपनी रंजिशे ,मुश्किलें ,हमे दे दो ,
लेकिन खुश रहा करो ....मेरे लिए !!
पहले कि तरह ..................................!!!

Saturday, November 17, 2007

लालू ,"हरा पेड़ चर्र्र्र्र्र्र्र्र्रा से गिर गया ,ट्रांसलेशन करो ?"

हमारे मित्र अमित ने कल मुझसे कहा कि ,यार राज ये क्या तुम कविता ,शेर ,दर्द भरा नगमा लिखते रहते हो ,कुछ जोक्स टाइप लिखा करो ,सो मैंने भी सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा भी लिखा जाये । तो मुझे एक बहुत पुराना जोक्स याद आ गया ।
एक बार राजू ने एक सपना देखा कि , हमारे देश के तीन नेता ,श्री मनमोहन सिंह,अटल जी ,और लालू जी ,तीनो गुजर गए ,और इनकी आत्मा स्वर्ग में गयी ,तो जैसा कहा जाता है कि ,स्वर्ग में जाने के बाद वह पे चित्रगुप्त हामरे सब कामो हिसाब करते है ,फिर उसके बाद सीट अलोट करते है ,कि किसको स्वर्ग में जाना है ,और किसको नरक में .चित्र गुप्त जी ,अपना रजिस्टर खोलते है,सबसे पहले अटल जी का हिसाब किताब देखते है ।
चित्र गुप्त : अटल ,तुमने तो इंडिया को बहुत फील गूड कराया लेकिन सिर्फ अपनी कविताओं में ,कभी विहिप ,और कभी शिवसेना को कराया ,लेकिन भारत उदय नही हुआ ,खैर कोई बात नही ,तुने जो भी किया कुछ ठीक ही किया ,और अभी तक कुवारे हो ,चलो तुम स्वर्ग में जाओ ,वहा पे परिओं से तुमरा कौमार्य खतम हो जाएगा .जी लेना अपनी ज़िंदगी ।
अब बारी मनमोहन कि
चित्र गुप्त : मनमोहन ,तेरा हिसाब किताब तो बहुत गड़बड़ है .तुमने तो कभी कुछ बोला ही नही ,जो कुछ बोला सोनिया ने ही बोला ,उसने जैसा चाहा वैसा तुमसे कराया ,खैर ,तुम भी स्वर्ग में जाओ ,जी लेना अपनी ज़िंदगी ..अपनी तरह से ।
अब बारी लालू जी कि
चित्र गुप्त : लालू जी ,भाई साहब ,आप नरक में जाओ ,आपका हिसाब किताब बहुत गड़बड़ है ,हमारे रजिस्टर में सब बकाया है आपका ,चारा घोटाला ,गुंडा गर्दी , जेल ,पता नही क्या क्या ।
लालू जी बिफर गए ,गुस्से में बोले , ई का है चित्र गुप्त्वा ,साला धरती पे भी हमारा हिसाब किताब खराब था ,यह पे भी सुकून नही है ,हम नही मानेगे ,हमको भी स्वार्ग में भेजो ,लालोऊ अपनी जिद पे अड़ गए ..फिर चित्र गुप्त ने कहा ,ठीक है ,हम आप लोगो से कुछ प्रश्न पूछूंगा ,जो उत्तर दे देगा ,स्वर्ग में जाएगा ,और जो नही दे पायेगा ,नरक में !सब तैयार हो गए ।
चित्र गुप्त अटल से : अटल Boy माने ।
अटल : जी ,लड़का ।
चित्रग्प्त : Spelling ?
अटल : बी...ओ...वाई
चित्र गुप्त : सबाश !! पास हो गए ,स्वर्ग में जाओ ।
चित्र गुप्त मनमोहन सें : मनमोहन ,girl माने ?
मनमोहन : जी , लड़की
चित्रगुप्त : Spelling?
मनमोहन : G...I...R ..L
चित्र ग्पुत : शाबास !! पास हो गए स्वर्ग में जाओ ।
अब बारी लालू कि
चित्र गुप्त लालू से :
लालू ,CHEKOSLOWAAKIYA माने !!
लालू : ई चित्र गुप्त्वा ,उनसे लड़का लड़की ,हमसे चेकोस्लोवाकिया..ई बिल्कुल भी नही चलेगा ,जयादा मूद्वा खराब करेगा तो हम यह रैल्ली निकाल देंगे ...हम ये पच्छ्पात बिल्कुल भी नही मानेगे ..फिर से पूछो ।
चित्रग्पुत : लालू ,तुमरा ये नाटक नही चलेगा ,चलो तुमको एक चांस और देते है ।
चित्र गुप्त अटल से : अटल ,वह एक लड़का है ,ट्रांसलेशन करो !
अटल : HE IS A Boy !
चित्रगुप्त : शाबास !सबाश !! पास हो गए ,स्वर्ग में जाओ
चित्र गुप्त मनमोहन से : मनमोहन ,वह एक लड़की है ,ट्रांसलेशन करो ।
मनमोहन : SHE IS A girl।
चित्रगुप्त : शाबास !सबाश !! पास हो गए ,स्वर्ग में जाओ
चित्र गुप्त लालू से : लालू ,हरा पेड़ चर्र्र्र्र्र्र्र्र्रा से गिर गया ,ट्रांसलेशन करो ।
लालू : हे देखा , उनसे लड़का लड़की ,हमसे चर्र्र्रा ,पर्र्र्र्रा !!!बिल्कुल नही ,हमको तो तुम लोग फसा दिए ,जर्रूर ये बीपच्च्ही कि चाल है ,हम नही मानेगे ,एक मौका और चाहिए ,लेकिन इस बार पच्छापात बिल्कुल भी नही ।
चित्र गुप्त : ठीक लालू जी ,एक बार और चांस मिलेगा ,ये लास्ट चांस है ,
चित्र गुप्त अटल से : अटल ,भारत में आजादी कि जंग कि शुरुवात कब हुयी थी ?
अटल : जी ,१८५७ में!
चित्र गुप्त : शाबास !!!! पास हो गए ,स्वर्ग में जाओ !!!
चित्र गुप्त मनमोहन से : मनमोहन , आजादी कि जंग में लगभग कितने लोग शहीद हुए ?
मनमोहन : वही लगभग ,१९ ,२० हजार ।
चित्रगुप्त : शाबास !!!! बिल्कुल सही , पास हो गए... स्वर्ग में जाओ !!!
चित्र गुप्त लालू से :लालू!! तुम उन १९,२० हजार शहीदों के नाम बताओ ?

Tuesday, November 13, 2007

पार्टनर के सामने कपड़े उतारने से शर्माते हैं मर्द !

25 परसेंट पुरुषों को अपने शरीर के बारे में इतनी शर्म आती है कि वे अपने पार्टनर के सामने कपड़े उतारने से भी शर्माते हैं। हाल ही में एक सर्वे में यह बात सामने आई है।

रिसर्च में पता चला है कि विज्ञापनों और फैशन मैग्जीनों में बॉडी की परफेक्ट शेप देखकर पुरुषों को भी उतनी ही शर्मिंदगी महसूस होती है, जितनी महिलाओं को।

तानिता के स्केल मैन्युफैक्चर्रस द्वारा यह सर्वे किया गया। सर्वे में शामिल 3000 पुरुषों में से 50 परसेंट ने खुद को मोटा बताया। हर दस में से एक पुरुष ने कहा कि वह अपनी चर्बी कम करने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी करवाना पसंद करेंगे। 72 परसेंट का कहना था कि जिम-ट्रिम शरीर देखकर उन्हें बुरा लगता है और यहां तक कि वे अपनी ढुलमुल फिजीक को लेकर असुरक्षित भी महसूस करते हैं।

लंदन के अखबार डेली मेल ने एसोसिएशन ऑफ फिटनेस इन्स्ट्रक्टर्स के प्रेजिडेंट ब्रेंडा मार्टिमोर के हवाले से लिखा है कि कुछ समय से महिलाओं में यह धारणा बन रही है कि परफेक्ट फिगर का मतलब है किसी पतंगे जैसा पतला होना। मार्टिमोर का कहना है कि ऐसा लगता है कि यह धारणा अब पुरुषों के बीच भी जगह बना रही है। वह कहते हैं कि बहुत सारे पुरुष जो अच्छे-खासे दिखते हैं, अब अपने आप को लेकर खुश नहीं हैं।

सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि पुरुषों ने शरीर को लेकर अपनी चिंतांओं का एक आसान हल भी खोज लिया है। यह हल है झूठ बोलना। हर 5 में से एक पुरुष ने माना कि वह अपनी कमर के साइज या वजन को लेकर झूठ बोलते हैं।
लो भैया ये भी आफत है ,मर्द के साथ.

Thursday, November 8, 2007

अपुन मानता है अपुन टपोरी है .

अपुन पकिया !!! उमर ३० साल ,
वजन ८० किल्लो और
5 1/ 2 फूट हाईट क्या ,
पूरा कसरत बोडी !!!
......अभी वो बोले तो ,
क्या है न अपुन को भी लाइफ में
सेटल होने का माँगता ,
इसीलिए ये विज्ञापन अपुन
पेपर में छाप रे ला है ...
अपुन मानता है अपुन टपोरी है ,
बहुत लोग का पुंगी बजायेला है मगर
क्या है ना बाप ,
अपुन का भी इज्ज़त है मार्किट में ! !!
अपुन को भी पब्लिक शादी -बियाह में बोलती है वह भी
इज्ज़त से !
साल का 5/६ पेटी तो अपुन आराम से कमा लेता है ...
बुरी आदत बोले तो दारु और बीडी , अभी दारु कोन
नही पीता - यार !!!!. अक्खा बड़ा बड़ा लोग अपुन लोग से
जास्ती चडा लेता है ...
अब छोकरी पुन् को ऐसा माँगता है ...
बोले तो एक दम झकास माल , पटाखा , एक दम
पटाखा ...
थोडा पड़ी लिखी होंगी तो चलेंगा
किओं के साला येः कभी कभी फॉर्म भरने के लिए
साला अपुन को 25 लोग का हाथ पैर जोड़ना पड़ता है ..
अपुन जो है न शादी के बाद एक
दम सुधर जायिंगा इमान से ...
अपुन का बच्चा लोग को अपुन पढा लिखा टपोरी
बनायिंगा ...
बोले तो टपोरी डॉक्टर ,टपोरी कंप्यूटर वाला ,टपोरी ब्लोगर और भी
भोत कुछ .........
माँ कसम शादी के बाद अपुन किसी भी चिकनी को लाईन
नही देंगा ...
देखो मामू अपुन को शादी के बाद में
कोई छोकरी कि फमिली का लफडा नही माँगता है ..
हाँ बोले तो कबाब में हड्डी नही बनने का क्या !
कोई साला बीच में आयेगा तो उसका गेम बजा
दालेंगा .
अभी ये सब अच्छा लगे तो अपुन को contact करने का
क्या !


पता है -
मुन्ना मोबाइल के पिच्छु ,
पप्पू पेजर का राईट हैण्ड , शान पट्टी नगर ,
हैरान गली No. 420,
परेशां रोड , भाई का एरिया .-३०३
ई -मेल :
खूनखराबा@शोर्ट-शर्कित.कॉम

सभी भाई लोग को दिवाली कि शुभ कामना !!

Friday, November 2, 2007

अजब पागल सी लड़की है!!!!

अजब पागल सी लड़की है ,
मुझे ख़त मैं लिखती है ,
मुझे तुम याद करते हो ?
तुम्हें मैं याद आती हूँ ?”
मेरी बातें सताती हैं
मेरी नींदें जगती हैं
मेरी आँखें रुलाती हैं
दिसम्बर के सुनहरी धुप में अब भी टहलते हो ?
किसी खामोश रस्ते से
कोई आवाज़ आती है ?
ठहरती शरद रातों में
तुम अब भी छत पे जाते हो ?
फलक के सब सितारों को
मेरी बातें सुनाते हो ?
किताबों से तुम्हारे इश्क में कोई कमी आई ?
या मेरी याद के शिद्दत से आंखों में नमी आई ?
अजब पागल सी लड़की है
मुझे हर ख़त में लिखती है .... . .........

जवाबन उस को लिखता हूँ ..
मेरी मसरूफियत देखो सुबह से शाम ऑफिस में
चिराग -ए -उमर जलता है
फिर उस के बाद दुनिया की
कई मजबूरियां पावो में में बेडी डाल रखती हैं
मुझे बे -फिक्र , चाहत से भरे सपने नहीं दिखते
टहलने , जागने , रोने की मोहलत नहीं मिलती
सितारों से मिले अरसा हुआ ..नाराज़ हों शायद
किताबों से मेरा रिश्ता अभी वैसे ही कायम है
फर्क इतना पड़ा है अब उन्हें अर्से में पढता हूँ
तुम्हें किस ने कहा पगली तुम्हें में याद करता हूँ
के मैं खुद को भुलाने की मुसलसल जुस्तजू में हूँ
तुम्हें ना याद आने की मुसलसल जुस्तजू में हूँ
मगर यह जुस्तजू मेरी बहुत नाकाम रहती है
मेरे दिन रात में अब भी तुम्हारी शाम रहती है
मेरे लफ्जों कि हर माला तुम्हारे नाम रहती है
तुम्हें किस ने कहा पगली तुम्हें मैं याद करता हूँ
पुरानी बात है जो लोग अक्सर गुनगुनाते हैं
उन्हें हम याद करते हैं जिन्हें हम भूल जाते हैं
अजब पागल सी लड़की है
मेरी मसरूफियत देखो
तुम्हें दिल से भूलूं तो तुम्हारी याद आये ना
तुम्हें दिल भुलाने की मुझे फुरसत नहीं मिलती
और इस मसरूफ जीवन में
तुम्हरे ख़त का इक्क जुमला
“तुम्हें मैं याद आती हूँ ?”
मेरी चाहत कि शिद्दत में कमी होने नहीं देता
बहुत रातें जगाता है मुझे सोने नहीं देता
सो अगली बार अपने ख़त में यह जुमला नहीं लिखना
अजब पागल सी लड़की है मुझे फिर भी ये लिखती है
मुझे तुम याद करते हो तुम्हें मैं याद आती हूँ ????????????????????????

हिन्दी कविता