Tuesday, October 23, 2007

मेरा ताजमहल

मेरा ताज महल मेरे कालेज के दिनों में मेरे मित्रो द्वारा बहुत पसंद किया जाता था .आज अपनी डायरी के पन्नों को बहुत दिनों बाद पलटा तो ये रचना निगाहों के सामने पड़ी ,सोचा कि इसको आप लोगो को भी सुनाऊं ....

अपनी मुहब्बत को जिंदा रखने के लिए ,शाहजहा ने,
एक ताजमहल बनवाया था ,
हालाकि मैं शाह्ज़हा नही हूँ ,फिर भी !!
एक ताजमहल बनवाऊंगा ,
जो मेरे दर्द का प्रतीक होगा ,
जिसे बनाने के लिए ,
मेरे पास दौलत का नही ,निराश इच्छाओं का असीमित खजाना है ।
जो संगमरमर के टुकडों से नही ,मेरे दिल के टुकडों से तैयार होगा ,
जिसका रंग सफ़ेद संगमरमर कि तरह नही ,मेरे खून कि तरह लाल होगा ।
उसके सामने जख्मो से निकली ,
तुम्हारी यादों का एक बाग़ होगा ,
और उसकी खूबसूरती के लिए ,उसके किनारे -२
मेरे आशुओं का दरिया बहेगा ।
मेरे दर्द का ताजमहल ,किसी आसमानी रोशनी से नही ,
मेरे दर्द और यादों कि रोशनी से चमका करेगा ।
और जिसे देखने के लिए ,हर हसीं रात में ,
दिल जलो ,बे -कशों का हुजूम लगा करेगा ।
जिसके ठीक सामने होगा ,तुम्हारी यादों का एक किला ,
जिसमे मेरी मुहब्बत के साथ ,मेरे जज्बात भी कैद रहेंगे ।
और जिसके झरोखों से मेरी मुहब्बत ,मेरे जज्ज्बात ,
मेरी इस कारीगिरी को झाँका करेंगे ।
मैं हर रात उस किले ,में ,अपनी मुरादों का एक दीप जलाऊंगा ,
अपनी बेकाशी का एक गीत सुनाऊँगा ,
के तू मेरी मुमताज़ है ...रहेगी ...शायद उम्र भर ।
गर्दिशे हालात से ,जब थक जाऊंगा चलते -२ ,
अपनी ही असफलताओं से हार जाऊँगा लड़ते -२ ।
तो हे ,जमाने के सताए लोगो ,
दफना देना मुझे !!
मेरे ही दर्द के ताजमहल के सामने ,
और दफ़न हो जाऊंगा मैं ...........
अपनी सलाबों के साथ ,लिपटा हुआ कफ़न में ,
बस ! यही हसरत लिए कि ,
काश ! तू मेरी मुमताज़ और मैं तेरा शाह्ज़हा होता !!!!

Saturday, October 13, 2007

हमारे और तुम्हारे बीच

तुमने लिख पूछा है !कैसा है मेरा प्यार तुम्हारे लिए ,
कैसे बताऊँ ?
ना व्यक्त होता है ना अभिव्यक्त
ना लिख कर बता सकता हूँ ,ना इशारों से ,
बस !
जिस दिन वर्षा हो ,और झाडियाँ थमें ,
जरा कमरे से निकल ,आकाश कि ओर देख लेना ,
शायद ,इन्द्रधनुष निकला हो ,
सप्त्रंगी !!
वही देगा उत्तर ,तुम्हारे प्रश्न का
कि
कितने रिश्ते संलिप्त है
हमारे और तुम्हारे बीच .

Friday, October 5, 2007

बूझो तो जाने !!!!!

किसी शायर ने कहा है
"किसी मासूम बच्चे के तबस्सुम में उतर जाओ .
तो जानो खुदा ऐसा ही होता है ।
मुझे बच्चे बहुत प्यारे लगते है ,शायद बच्चे सभी को अच्छे लगते है लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है जो बच्चों को ऐसे घूरते है जैसे पाकिस्तान हिंदुस्तान को .इसपे भी किसी शायर ने कहा है ।
वो क्या किसी के होंठों को बाटेगा कह -कहे ।
जिसने घर में बच्चो को भी हँसने नही दिया ॥
मैं रास्ते में चलते रहते हुये भी किसी बच्चे का साथ पाता हूँ तो उसके साथ खेलने लगता हूँ ,क्यों ना उनकी मम्मी भी साथ हो ,अब आप को क्या बताऊँ हमारे दोस्त ये भी कहने लगते है ,बच्चे का आड़ ले कर मम्मी को पटा रहा है ...खैर ,ऐसे ही एक बाल मन ,जो हमारे लैंड लॉर्ड का प्यारा सा "गोलू " है ६ वर्ष का ,मेरे से एक पहेली पूछा .मैं तो बहुत परेशान हो गया ,सोचा चलो ये पहेली मैं अपने चिटठा जगत के साथियों से ही पूछूँगा ?हमारे चिटठा जगत के महान् बेताज बादशाहों "समीर जी , महावीर जी , अनूप जी , ज्ञान दत्त जी ,संजीव ,पर्मेंदर ,आलोक जी ,और हमारे ढ़ेर सारे ब्लॉगर भाई ही इसका सालुसन बतायेंगे .तो पहेली ये है ॥
अंधे कि बीवी को लंगडा ले कर भाग गया ,और गूंगे ने देख लिया ,तो बताओ ,गूंगे ने अंधे को कैसे बताया कि उसकी बीवी को लंगडा ले कर भाग गया
और हाँ गोलू ने ये भी कहा है कि अंकल अगर आप इसका उत्तर बता दोगे तो आपको एक चोक्लेत मिलेगी .तो ठीक है आप लोग बता दो वो चोक्लेत आपकी होगी , अगर उत्तर बता दिए तो !!!!!!!!!!