Saturday, March 15, 2008

मुझे खोने से डरता था

मेरी आखों पे मरता था
मेरी बातों पे हँसता था
नाजाने शख्स था वो कैसा
मुझे खोने से डरता था

मुझे जब भी वो मिलता था
यही हर बार कहता था

सुनो !!!!!

अगर मैं भूल जाऊं तो,
अगर मैं रूठ जाऊं तो

कभी वापिस न आऊं तो
भुला पाओगे ये सब कुछ
यूँही हँसती रहोगी क्या
यूँही सजती रहोगी क्या

यही बातें हैं बस उसकी
यही यादें हैं बस उसकी
मुझे इतना पता है बस ……!
मुझे वो प्यार करता था ,

मुझे खोने से डरता था!!!!!!!!!!!!!!

Saturday, March 1, 2008

प्रतीक्षारत हूँ !!!!!!


सरिताओं का गहरा सागर उमड़ा था .

जब देखा था तुमने .

चाहत भरी निगाहों से मुझे!

चाहता था डूब जाऊं उनमे ,

पर, नही पा सका तुम्हारा वह अस्तित्व

फिर भी "प्रतीक्षारत " हूँ ,

इसीलिए आज तक !

की कभी तो मिलोगी तुम

ख्वाब में या ख़यालों में ,

एक अ-स्पस्ट सी परछाई बनकर!!!