तुझे इजहार -ऐ -मुहब्बत से अगर नफरत है
तुने होंठों को लरज़ने से तो रोका होता
बे-नियाजी से, मगर कंकपाती आवाज़ के साथ
तुने घबरा के मेरा नाम न पूछा होता
तेरे बस में थी अगर मशाल -ऐ -जज्बात की लौ
तेरे रुखसार में गुलज़ार न भड़का होता
यूं तो मुझ से हुई सिर्फ़ आब -ओ -हवा की बातें
अपने टूटे हुए फिकरों को तो परखा होता
यूं ही बे-वजह ठि-ठाकने की ज़रूरत क्या थी
दम -ऐ -रुखसत में अगर याद ना आया होता
तेरा अंदाज़ बना ख़ुद तेरा दिले -दुश्मन
दिल ना संभला , तो कदमों को संभाला होता
अपने बदले मेरी तस्वीर नज़र आ जाती
तुने उस वक़्त अगर आईना देखा होता
हौसला तुझ को ना था मुझ से जुदा होने का
वरना काजल तेरी आंखों में ना फैला होता .
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5 comments:
वाह!!
सुंदर!!
bhut sundar
abey chattu charsee kyo google ki space aur bandwidth barbaad kar raha hai apnee in sadee sadee kavitao se. kuch to reham khaa logo pe!!!
Happy New year Songs
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