उदास शामों की सिसकियों में ..
कभी जो मेरी आवाज़ सुनना ,
तो बीते लम्हों को याद कर के ,
इन्ही फिजाओं मे लौट आना ..
तुम आया करते थे खवाब बन कर ,
कभी महकता गुलाब बन कर ,
मैं खुश्क होंठों से जब पुकारूँ ,
इन अदाओं मे लौट आना …
मेरी वफाओं को पास रखना ,
मेरी दुआओं को पास रखना ,
मै खली हाथों को जब उठाऊँ ,
मेरी दुआओं मे लौट आना
Saturday, May 23, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)