कहीं से रूत्जगे कहीं ज़र्निगार से ख़्वाब दे .
तेरा क्या उसूल है ज़ींदगी , तुझे कौन इसका जवाब दे ।
जो बीछा सकूं तेरे वास्ते जो सजा सकूं तेरे रास्ते .
मेरी दस्तारस मैं सीतारे रख मेरी मुट्ठियों को गुलाब दे .
कभी यूं भी हो तेरे रूबरू मैं नज़र मीला के ये कह सकूं ,
मेरी हसरतों को शुमार कर , मेरी ख्वाहीशो का हीशाब दे ..