Thursday, July 12, 2007

अजनबी

हमसफ़र बनके हम साथ हैं आज भी ।
फीर भी है ये सफ़र अजनबी अजनबी ।
राह भी अजनबी मोड भी अजनबी,
जाएँ हम कीधर अजनबी अजनबी।
जिन्दगी हो गयी है सुलगता सफ़र ,
दूर तक आ रहा है धुआं सा नज़र
जाने केस मोड पर खो गयी हर ख़ुशी ।
देके दर्द -ए -ज़ीगर अजनबी अजनबी ,
हमने चुन चुन के तिनके बनाया था जो ,
आशियाँ हसरतों से सजाया था जो
है चमन में वही आशियाँ आज भी,
लग रह है मगर अजनबी अजनबी,
कीसको मालूम था दिन ये भी आएंगे ,
मौसमों की तरह दिल बदल जायेंगे ,
दिन हुआ अजनबी रात भी अजनबी ,
हर घड़ी हर पहर अजनबी अजनबी.








1 comment:

Anonymous said...

Beautiful one