Sunday, June 22, 2008

हमरी भैसिया को घंटी किसने मारा

हमारे प्राचीन ग्रंथों में लिखा है की यदि कोई मनुष्य काम,क्रोध, मोह, लोभ त्याग तो वो परमानन्द को प्राप्त करता है. लेकिन मुझ खाकसार के तुक्ष विचार से यदि मनुष्य मोबाईल फ़ोन त्याग दे तो वो परमान्नद को प्राप्त करता है. अभी कुछ दिन पहले मैं अपने गाँव जौनपुर गया था. देखा की ५-६ साल बच्चो के हाथों में नोकिया एन-सिरीज़ , सोनी वी-फी न जाने कौन -२ से मोबाइल फ़ोन हाथ में. लेकिन ये देख के अच्छा भी लगा की चलो गाँव के लोग भी गजेट्स एंड टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहे है.

अभी कुछ सालो की तो बात है, जब मेरे पड़ोस में किसी की कोई रजिस्ट्री, चट्ठी आती थी तो कुछ लोग मेरे पास ले कर आते थे, की राजू बेटा जरा ये पढ़ के सुना दो. .. झूठ नही बोलूँगा, इसी बहाने मैं भाभियों का लव-लेटर (भइया लोग भेजते थे) भी पढ़ लेता था.मुझे भी अच्छा लगता था की सभी तरह के दुखियारे मेरे पास आते थे चिट्ठी लिखाने.कोई बुड्ढा दादा जिसका बेटा महीनो से रुपया नही भेज रहा है, कोई औरत जिसका मरदवा दूर परदेश में शायद दूसरी मेहरिया लिए बैठा है, कोई छैल-छबीला बांका जवान जो दूर बैठा-२ किसी लड़की को चारा फेक रहा हो, कोई दिलफेंक औरत जो "सिलसिला" देखने के बाद अमिताभ बच्चन जैसे किसी शादी-शुदा मरद से जा फ़सी, कोई बेचारी कुवारी जो कुछ नही समझ पाती अपने दिल को इस नयी-२ सुगबुगाहट को, बस इतना जानती है की बड़ी दीदी के छोटे देवर "हीरा लाल" को देखते ही जाने कैसी कलियाँ सी चिटकने लगती है भीतर ही भीतर , और शरीर पानी-२ सा हो जाता हैं. ...... खैर ! अब जमाना पूरा का पूरा बदल गया .अब न कौनो चिट्ठी न पत्री, अब तो मोबाइल ही सब कुछ कर देता है.
खैर, कुछ महीने पहले जब हम गाँव गए तो , जगरनाथ दादा जिनकी उम्र करीब ७५ साल के आस-पास होगी , बहुत ही नेक और सीधे-सादे व्यक्ति हैं. मेरे पास आए एक नोकिया एन-सिरीज़ लेकर और बड़े गर्व से बोले "राजू बेटा तुम तो इंजिनीयर हो ,जरा देखो मेरा मोबैलवा चल नही रहा है, कुछ करो इसका. मेरी तो अक्ल ही गुम! क्युकी मैं तो वही नोकिया २१०० और एल.जी उसे किया था. मुझे तो एन-सिरीज़ का कोई आईडिया नही था. खैर मैंने दादा जी को बोला क्या हुआ है इसमे.बोले की जब बेटवा को फ़ोन लगाते हैं तो फ़ोन नही लगता, इसमे एक जनाना(औरत) बोलती है की तोहरा फोनवा का बैलेंस ख़राब चल रहा है,कृपया बैलेंस ठीक करवाएं.
फिर मैंने पूछा दादा जी आख़िर इसका बैलेंस ख़राब कैसे हुआ,
दादा बोले- का बताये बेटा, बस संजोग ख़राब था. हम मोबैलवा ले के अपनी भैसिया को दूध रहे थे , तभी हमरा फोनवा ससुरा बज गया, और भैसिया भड़क गयी. और अपसेट हो कर लात मार देस. फिर बेटवा हमरे सामने ही हमरे मोबैलवा की बैलेंस ख़राब हो गया.

मैंने भी बहुत अफ़सोस किया(बैलेंस ख़राब होने का). फिर मैंने जगरनाथ दादा को फ्री का सुझाव दिया की आप कस्टमर-केयर फ़ोन करके पूछ लो. फिर मैंने कस्टमर केयर फ़ोन लगा के दादा को पकड़ा दिया.
दादा- हैलो.. हैलो , भइया जय राम जी की , हम जगरनाथ निगोह गाँव से बोल रहे है.
कस्टमर-केयर: हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं.
दादा- साहब, हमरे मोबैलवा को भून्गरी भैसिया ने लात मार दिस , तभी से हमारा मोबैलवा का बैलेंस ख़राब हो गया.
कस्टमर-केयर: अपना नम्बर बताएं.
दादा - नही हम को कोई नम्बर नही लगता , हम बिना चश्मा के हैं... बस थोडी अंदरूनी बताश है,जब जब पुरुवा चलती है तो थोड़ा थोड़ा पुरे शरीर में ऐठन आ जाती है.
कस्टमर-केयर: आपने अपना मोबाइल कब रिचार्ज कराया था ?
दादा - रोज़ ही चार्ज होता है, रात खाने खाने के बाद हमरी बहु बिरजू से रात २ बजे तक चार्ज करती है , क्युकी रात ११ बजे के बात फोनवा का बिल कुछ सस्ता हो जाता है.
कस्टमर केयर -तो ठीक है , आज फिर रिचार्ज कर लेना....आप का बैलेंस ठीक हो जायेगा.
दादा - अच्छा बेटा ठीक है, जुग-जुग जियो.
कस्टमर केयर - और कुछ जानना चाहेंगे मिस्टर जगरनाथ.
दादा - हाँ बेटा! आज कल मार्केट में "यूरिया " का क्या रेट चल रहा है? और हमरी नहर में पानी कब आएगा?


Category- Hindi Jokes