Saturday, August 8, 2009

अच्छा लगता है वो मगर कितना



















भूल जाता हूँ मिलने वालों को
खुद से फिरता हूँ बेखबर कितना

उसने आबाद की है तन्हाई
वरना सुनसान था ये घर कितना

कौन अब आरजू करे उसकी
अब दुआ मैं भी है असर कितना

वो मुझे याद कर के सोता है
उस को लगता है खुद से दर कितना

आदतें सब बुरी हैं यारों उसकी
अच्छा लगता है वो मगर कितना

Thursday, August 6, 2009

टायसन परिणय बोनी


कल ही तो था टायसन का रिसेप्सन ...बोनी तो ऐसे चहक रही थी मानो उसे टायसन के रूप में ज़न्नत मिल गयी थी...सुर्ख होंठ,शरमाई सी आँखे, आवाज में सिलवट, निगाहों में चमक , लिए गेस्ट-हाऊस के चक्कर लगा रही थी...लेकिन मुए , गली के आवारा कुत्ते गेट के बहार से ऐसे घूर रहे थे जैसे बोनी की शादी ना-गवारा हो....बोनी डर के भाग जाती थी अपने टायसन के पास....और फिर फुल कन्संत्रेसन से "कभी अपने घुंघरू लगे कपडे को निहारती और कभी अपने सहजादे के गले में पड़ी चमकती माला को देखती..........टायसन , जो अभी ३ दिन पहले खाना-पीना बिलकुल छोड़ दिए थे ....शायद लगन लग गयी थी उनको.....

परसों दुर्भाग्य-वस हमारे मोहल्ले में आ गए थे घूमते-घूमते ....गली के गबरू जवान कुत्ते जो टायसन से खुन्नस खाए बैठे थे ...भाई , क्यों की कुत्तो के समाज में फुल- सर्टीफाईड विवाह स्ट्रिक्टली प्रोहिबिटेड है.....मोहल्ले की कोई छैल-छबीली किसी एक की जागीर नहीं हो सकती.......खैर !! "लल्ले(शर्माजी के कुत्ते का नाम...जो बिलकुल आवारा हो गया है..दिन भर आडवानी के किराना स्टोर की दूकान के सामने पड़ा रहता है .... चौराहा है न इसीलिए.....और इसी का जिगरी दोस्त "टाईगर (लेकिन अब मोहल्ले-वालो ने इनका नाम चेंज करके "छेदी " रख दिया है...क्युकी ये एक बार ये गलती कर के आंबेडकर-पार्क पहुँच गए थे ...जहाँ मायावती अपनी मूर्तियाँ स्थापित कर रहीं है...भाई , आप ही सोचो वहां कुत्तो का क्या काम....ये तो अच्छा हुआ की टाईगर पर गैंगस्टर नहीं लगा ..बाल बाल बच गए....लेकिन मूर्ति-उत्त्पीरण के तहत इनके कान में छेद कर दिया गया किसी पत्थर से.....तो आज भी इनके कान में छेद है....)........हाँ , तो हम बात कर रहे थे टायसन की ..... टायसन जैसे ही चौराहा पर दिखे , लल्ले ने घेर कर ...पूछना चाहा की " भाई , समाज भी नाम की कोई चीज़ होती है, ऐसे कैसे शादी कर लोगे तुम.....माना की हम मोहल्ले के आवारा कुत्ते हैं...लेकिन हैं तो "नवयुवक मंगल दल" के सदस्य...कोई भी सोसायटी के बाहर नहीं जा सकता....टायसन तो अकड़ गए, ऊपर से ह्यूमिडिटी ज्यादा थी......हो गया द्वंद ....एक बात तो तय है...गली के आवारा नवयुवको में बहुत एकता होती है....."छेदी भी भागता आया , लल्ले का साथ देने....फिर क्या था....टायसन की जम कर धुनाई हुयी....पास में खड़े मीडिया वाले(पिल्लै-छोटे कुत्ते ) फुल कवरेज़ कर रहे थे......जैसे - तैसे जान बचा कर टायसन को भागना पड़ा....लेकिन टांग में फ्रेक्चर हो ही गया .....

कल रिसेप्सन में काफी बुझे -२ से लग रहे थे टायसन ......अब ना जाने क्यों...शायद उन्हें अपनी हार का गम सता रहा था ...या शादी की जिम्मेदारियों से डर गए थे.....खैर , ये तो टायसन को ही पता होगा ....

खैर, कल तो तिवारी अंकल, और दीक्षित अंकल ने अच्छी पार्टी दी थी....कम-से-कम ३००-४०० लोगो को बुलाया था...और ये भी निर्देश था की "कृपया अपने श्वान को भी साथ लायें".....