चमन की बहारों में था आशियाना
न जाने कहाँ खो गया वो ज़माना
तुम्हें भूलने की मैं कोशिश करूँगा
ये वादा करो के न तुम याद आना
मुझे मेरे मिटने का गम है तो ये है
तुम्हें बेवफा कह रहा है ज़माना
खुदारा मेरी कब्र पे तुम न आना
तुम्हें देख कर शक करेगा ज़माना
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5 comments:
खुदारा मेरी कब्र पे तुम न आना
तुम्हें देख कर शक करेगा ज़माना
WAH!!!
बहुत अच्छा लिखा है आप ने ..धन्यवाद ..
तुम्हें देख कर शक करेगा ज़माना
वाह, कब्र पर भी शक मरता नहीं।
Good writing...congrats...
kavi kulwant singh
http://kavikulwant.blogspot.com
Wah!!!!!!!!
Alfaz he naheen tarif karne ko...
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