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विचारों की जमीन पे आपका स्वागत है ,मैं यहाँ जयादा कुछ नही लिखूंगा बस्स रविन्द्र नाथ टैगोर की ये पंक्तियाँ ही वयक्त करेंगी ।। जो पूजायें अधूरी रहीं ,वो व्यर्थ ना गयीं। जो फूल खिलने से पहले मुरझा गए , और नदियाँ रेगिस्तान मे खो गईं, वो भी नूस्त ना हुईं। जो कुछ रह गया जीवन में जानता हूँ !!! निसफल ना होगा , जो मैं गा ना सका ,जो बजा ना सका , हे प्रकृती ! वह तुमारे साज़ पे बजता रहेगा । ।
2 comments:
bachpan ki yaade taaja krane ke liya shukriya
:) सच, बचपन की यादें ताजा हो आई.
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