Monday, May 10, 2010
मेरी शर्त
रिश्ता तोडना चाहो
तुम मुझ को छोड़ना चाहो
तो मेरी शर्त इतनी है ,
तुमें जो दे चूका हूँ मैं
मुझे लौटा दो वो सब कुछ …..!
मेरे लम्हे वो चाहत के
वो सब तोहफे मोहब्बत के
वो भीगी डायरी मेरी
वो सारी शायरी मेरी
मेरे वो कीमती लम्हे
जो तुझ को सोचते गुजरे
वो पल जो एक कयामत थी !
जो रास्ता देखते गुजरे
खुदा को भूल कर वो दिन
जो तुझ को सोचते गुजरे
तो फिर वो ज़िन्दगी मेरी
हाँ बोलो …..!!!
हर ख़ुशी मेरी
कहो लौटा सकोगी तुम ????
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8 comments:
वो भीगी डायरी मेरी
वो सारी शायरी मेरी
Bahut khoob....maja aa gaya.....
waah bahut achche janaab...sab kuch to wapas maang liya:D
लौटा पाना तो नहीं होता, आप लौट कर बार बार वहाँ पहुँच जाते हैं ।
रिश्ते कभी जुटते नहीं,
जुट गये अगर, तो टूटते नहीं,
कौन लौटा पाएगा बीते लम्हों को,
बिताये गये सुखद पल औ ख्वाब को.
काफी सुन्दर रचना
Wah Raj,bahut sunder bhavnaparak,marmsparshi kavita likh dali aapney.Mujhey to aapki profile ney hi choo liya.
Kabhi bhi aap ka mun ho to aap baat karsaktey hai mujhsey.Mera cell no 9425898136 hai .I am Professor in GOVT.T.R.S.College Rewa MP
jab bhi naya kuch likhiye bataiye mujhey.
sasneh,
dr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
wah wah... Nice poetry... I really appreciate your writings. Thanks for sharing this.
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gazab janab,bahut pyari cheez likh gaye bahi ji.badhai aur shubhkamnayen bhi
sasneh
dr.bhoopendra
mp
I just a want to thanks for writer.It is really great.I am happy to found your blogs.This post is great. Thank you for this post. I like this type of people who share knowledge with others.
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