यू तो इन्सान नए ज़मीन ,नए आसमान की चाहत करता है ,ये आरजू भी उसके लिए मुमकिन होती है । लेकिन !जहाँ नयी कायनात उसके सामने आती है , उस जहाँ मे कदम रखते हुए काँप सा जाता हूँ । उसे एक अजीब सी उलझन महसूस होती है । मुहब्बत भी कुछ ऐसे ही जज्बे का नाम है ,जहाँ हर रंग बदलने वाला होता है ,जहाँ आदमी सोचता कुछ और है ,और होता कुछ और है ।किसी ने सच ही कहा है...कहते है प्यार किया नही जाता हो जाता है.प्यार एक खूबसूरत जज्बा है, जिसका सिर्फ एहसास किया जा सकता है, शब्दो मे बयान करना शायद सम्भव नही होगा.प्यार शब्द में सारी दुनिया समाई हुई हैं.एक मीठा एहसास जो जीवन में ताजगी भर देता हैं. प्यार आदमी को बहुत कुछ सिखाता हैं.किसी की आँख का आँसू आपकी आँखों में हो और किसी का दुख आपकी नींद उड़ा दे, किसी की हँसी आपके लिये सबसे कीमती हो और आप सारी दुनिया को भुला दे. यही तो प्यार के रंग हैं.प्यार एक ऎसी दुनिया है जो आपको सपनों की दुनिया का अनुभव कराती है? इस दुनिया में तड़प भी है, अपने साथी को पाने का जूनुन भी है, यहाँ पर दर्द भी है और खुशी भी है।
परसों शाम को काम का काफी बोझ उतार के(क्युकी सन्डे को ही मेरे पास काफी वक़्त होता है अपने पेंडिंग काम करने के लिए...) रात को ११ बजे ऑफिस से निकला ....मुआ ठण्ड की दस्तक ने लोगो को ९ बजे तक घर में घुसने के लिए मजबूर कर दिया है....ऊपर से ए नेचुरल कलामितीज़ शाम चार बजे के बाद ही धुंध दिखने लगती है (और इस मुए धुंध ने मेरे ऑफिस एम्प्लोयी की productivity भी कम कर रखी है.)....खैर!! जैसे ही गेट के बहार आया देखा की एक वयस्क लड़का और लड़की एक दुसरे की आगोश में आके रो रहे रहे थे...मै तो कुछ और समझ बैठा ....और अपनी नज़रें घुमा के अपने घर का राष्ता इख्तियार किया ....फिर थोड़ी सी सिसकने की आवाज़ मेरे कानो में आयी....और ना जाने क्यों मेरे पाँव अचानक ही उनके ओर डग भरने लगे...फिर मैंने एक द्वन्द भरी आवाज़ से बोला ""क्या रहे हैं आप लोग यहाँ ..रात के ११ बज चुके है आप लोग को इस वक़्त अपने घर में होना चाहिए "...लेकिन उधर से कोईप्रति -उत्तर नहीं मिला...अब मैं उनके और करीब पहुच चूका था..मुझे ये नहीं पता था की मै गलत कर रहा हूँ या सही ....लेकिन उनके काफी करीब था मै..दोनों बिलकुल सावधान की मुद्रा में खड़े हो गए...लेकिन उनके आसूंओ का सैलाब मेरी बेचनी बढा रहा था...मैंने पूछा क्या बात है ....कोई जवाब नहीं .........फिर मैंने पुरे गर्म लहजे में बोला की अगर आप लोग मुझे नहीं बताएँगे तो मैं यहाँ से नहीं जाऊंगा......न जाने क्यों उनको मेरे ये छोटे से शब्द अपने लगे ......और फिर उन लोगो ने पूरी बात बताई...
मैं यहाँ उन दो प्रेमियों का नाम नहीं लिखना चाहूँगा ..क्युकी मैं उनके पवित्र प्रेम को रुसवा नहीं करना चाहूँगा...लड़के की शादी इसी १९ नवम्बर को है..और वो किसी बैंक में अच्छे पद पर है...और लड़की भी किसी आई.टी. संस्था में कार्यरत है...लेकिन दोनों भिन्न-२ जाति से ताल्लुक रखतें है....और यही मुख्या वज़ह है की वो अपने प्यार को शादी जैसे पवित्र रिश्ते का नाम नहीं दे पा रहे है.....उन दोनों ने अपनी पूरी बात बताई ....मेरी तो अक्ल ही गम....कुछ समझ में नहीं आ रहा था की इन दोनों की मासूम मुहब्बत के लिए मैं क्या करूँ....क्युकी पहाड़ो की बुलंदियां तो हम लांघ सकतें है लेकिन समाज की हदें पार करना हमारे बस में नहीं..."""" इन दोनों के मुहब्बत के बीच समाज था....अफ़सोस! जिसका एक हिस्सा मैं भी हूँ....
सच में मुहब्बत वो शय है जो रूह को ख़ुशी देता है..लेकिन उससे भी जयादा गम....मेरी प्यार-मुहब्बत के बारे में सोच थोड़ी भिन्न है..क्युकी आजकल के लड़के-लड़कियों को बहुत जल्दी प्यार हो जाता है। दरअसल उनका यह प्यार कभी-कभी प्यार न होकर एक शारीरिक और मानसिक आकर्षण रहता है जिसका पता उन्हें शादी के कुछ महीनों के बाद ही हो जाता है। आजकल के ज्यादातर लड़के अच्छे फिगर वाली लड़के- लड़कियों को देखकर अपने प्यार का इजहार कर देते हैं। प्यार के बड़े बड़े वादे तो हर कोई करता है... लेकिन जीवनभर साथ निभाने वाले लोग बहुत कम होते है...खैर ....
अब भी मुझे उस लड़की की बातें मुझे बेचैन करतीं है....जो उस वक़्त अपने बिछड़ने वाले जिंदगी के सबसे अहम् व्यक्ति से बोल रही थी....'' तुमने मुझसे वादा किया था कि तुम जीवनभर मेरी देखभाल करोगे... तुम तब तक मेरा साथ नही छोड़ोगें जब तक में यह दुनिया नही छोड़ देती... और आज तुम मुझसे पहले ही मेरे प्यार की दुनिया छोडकर जाना चाह रहे हो..... आखिर तुम ऐसा क्यों कर रहे हो...मम्मी-पापा को समझाओ ..मे तुम्हारे बगैर कैसे जी सकुगीं''.....सर , आप ही समझाओ इन्हें....मैं क्या समझाता ......एक ना-समझ ही तो था मैं....उस लड़के की भी बहुत बड़ी मजबूरी थी....और कोई भी अच्छा बेटा अपने माँ-बाप के लिए अपनी खुशियाँ कुर्बान कर सकता है...
मैं सोचता रहा रात भर आख़िर ये कौन सा जज्ज्बा है ?? किसी को दिल में बसा लेना ,फिर उसे अपने प्रेम-रूपी खयालों की अमराइयों में ढूद्ना , और रात दिन उसी के सपने देखना ,मसलन ! एक दुसरे का इंतजार , मिलने की बेचैनी ,जुदाई का गम ,ये खुसनशीबी की निशानियाँ बहुत कम खुश्नसीबो को मिलती हैं ।हमारी चाहतें , हमारी मुहब्बतें , जो नामुमकिन दीवारो को तोड़कर एक हो जाती है , ऐसा मिलन एक मिशाल ही तो होता है .. जिसकी आगोश मे हमारी जिन्दगी क़ैद हो जाती है.अगर यह हमारे लिए सरफ़रोश है तो हमारा क़ैद होना उस संगीत की तरह होता है जिसे छेड़ कर दिल को अजीब सा सुकून मिलता है ...जिसे लफ़्ज़ों में नही बयाँ किया जा सकता , ....मगर जब वही क़ैद रिहाई बन जाती है तो जीना दुस्वार सा हो जाता है ,अपने महबूब अपनी मुहब्बत से बिछड़ जान एक दर्द भरा हादसा होता है ,इस हादसे की वज़ह चाहे जो भी हो मगर तड़पते सिर्फ दो दिल ही है ...बस यही है....क्युकी
"उनकी यादों के जब जख्म भरने लगतें हैं ।
फिर किसी बहाने उन्हें याद करने लगते हैं ॥ "
खैर, मैं भगवान् से यही दुआ करूंगा की उन मासूम की ख्वाहिस्सो को अगर हो सके तो पूरा करें...बहुत दर्द देखा मैंने उन दोनों की आँखों में....इसका अंदाजा सिर्फ मै ही लगा सकता हूँ.....उनके साथ बिताया वो आधे घंटे का लम्हा मुझे सदियों का एहसास करा गया .....लेकिन अफ़सोस.....तोनो तनहा -२ घर गए....और साथ में उनकी तनहाई मैं भी अपने साथ लाया.....उसकी बातें अब भी मेरे कानो में गूंजती है...................बस..............
मेरे पेश -ए -नज़र , ऐ मेरे हमसफ़र
मेरी बेचारगी देख कर हर घडी
कहती है चश्म-नम, हम बिछड़ जायेंगे
आंसुओं में मेरी , उम्र बह जायेगी
तुम चले जाओगे याद रह जायेगी,
तुम ने ये क्या किया मुझको बतला दिया
कुछ दिनों में सनम हम बिछड़ जायेंगे
कल ना जाने कहाँ और किस हाल में
तुम उलझ जाओगे वक़्त के जाल में,
कल भुला कर उठो — साथ मेरे चलो
आज तो, दो क़दम —– कल बिछड़ जायेंगे!!
13 comments:
राज भाई, बहुत दिन बाद आपकी कोई रचना पढने को मिली...लेकिन जबरदस्त एंट्री......आपने शब्दों की माला गूथ दी....काश आपकी रचना उन दोनों प्रेमी भीपढ़ते.....
सच कहा राज जी आपने...पहाड़ो की बुलंदियां तो हम लांघ सकतें है लेकिन समाज की हदें पार करना हमारे बस में नहीं.....कभी मेरी भी ऐसी ही कुछ कहानी थी......दिल को छू लेनेवाली
ये तो पढ़ ही रहे हैं मगर आप हो कहाँ आजकल?
@समीरजी.----------------समीर जी, बहुत अच्छा लगा आप हमारे चिट्ठे पर आये ....आज कल मैं लखनऊ में बिराजमान हूँ....और कुछ वक़्त की की कमी और व्यस्तता की वज़ह से लिखना बंद कर दिया था...लेकिन अब चिट्ठे पर आना जाना लगा रहेगा...
-धन्यवाद
mast hai boss kavi kavi lagta hai maine apni life me ek achchha kam kiya hai ki mujhe kabhi kisi se pyar nai huwa to pyar me dil tutne ka dard kaisa hota hai mujhe nai pata lekin es dard ka ehsaas tumhare article ko padhne k bad kuchh to jarur huwa hai bhagwan kare wo dono fir se mil jaye my wishes always wid them..........
@ Saurav.....Thanks for the comment Saurav
this will be there till we will discus only! when we come up with open hands to welcome the two, lacks of others will be benefited automatically ......
chaa gaye bhai
well there is only one thing in the world and that is every moment is perfect in itself then how there could be a love story which is incomplete or adhura ?
have heart man
you shall get all
well veru heartening episode
I am fromdelhi
भैया कुछ अपना भी ऐसा ही ,माना की उस टाइम आपके पास समय नहीं था तो आप उनके लिए कुछ नहीं कर सके ..
लेकिन मै आपको टाइम देता कुछ मेरे लिए भी करो यार.. नहीं तो एक कुछ दिन बाद दो फिर रोते मिलेगे और कही ....
bahut khub...superb fantastic
शायद पहली बार आपके ब्लाग पर आया हूँ...वाकई आप काफी अच्छा लिखते हैं. लखनवी तहजीब को जिन्दा रखते हुए यूँ ही प्रगति के पथ पर अग्रसर हों..बधाई.
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