उदास शामों की सिसकियों  में ..
कभी  जो  मेरी  आवाज़ सुनना   ,
तो बीते लम्हों  को याद कर के ,
इन्ही फिजाओं  मे लौट आना  ..
तुम आया करते  थे  खवाब बन कर ,
कभी  महकता  गुलाब  बन कर ,
मैं खुश्क होंठों  से  जब  पुकारूँ   ,
इन अदाओं मे लौट आना …
मेरी वफाओं  को  पास  रखना ,
मेरी  दुआओं  को  पास  रखना ,
मै खली  हाथों  को  जब  उठाऊँ ,
मेरी दुआओं  मे लौट आना
Subscribe to:
Post Comments (Atom)

6 comments:
तुम आया करते थे खवाब बन कर ,
कभी महकता गुलाब बन कर
मै खली हाथों को जब उठाऊँ ,
मेरी दुआओं मे लौट आना
बहुत अच्छी पंक्तियाँ
खली को खाली लिख लें |
सुन्दर! शाम तो घर लौटने के लिये ही होती है!
तुम आया करते थे खवाब बन कर ,
कभी महकता गुलाब बन कर ,
मैं खुश्क होंठों से जब पुकारूँ ,
इन अदाओं मे लौट आना …
बहुत sunder लिखा है ...
जाने वाले तो नहीं आते,
आती हैं केवल यादें उनकी,
ख्वाब तो केवल ख्वाब है,
हकी़कत में न चाह कर इनकी.
जिनकी याद में हम दीवाने हो गए,
वो हम ही से बेगाने हो गए,
शायद उन्हें तालाश है अब नये प्यार की,
क्यूंकि उनकी नज़र में हम पुराने हो गए..!!
हमारे सीने से लगा दिल न हमारा हो सका ,
मुस्कुरा के तुमने जो देखा तो दिल तुम्हारा हो गया !!
Post a Comment